Saturday, December 21, 2013

''जहाँ भोर होते अम्मा आँगन बुहारे ----साथियो  गीत के बोल से ही आप समझ गए होंगे कि यह गाँव के परिवेश पर आधारित गीत है चूँकि गाँव मेरा प्रिय विषय है तो मेरा हर तीसरा चौथा गीत ग्राम्यांचल को रेखांकित करता हुआ होता  है। ''

Thursday, December 19, 2013

छत्तीसगढ़ की गंगा महानदी जो जीवन दायिनी है कहाँ से निकलती है और कहाँ गिरती है उस पर केंद्रित एक गीत महानदी की धारा हूँ मैं महानदी की धारा हूँ

Monday, December 9, 2013

विगत दिनों  प्रिंट मीडिया और इलेक्टॉनिक मीडिया की  कुछ महिला पत्रकारों ने एक दूसरे से मुलाक़ात की --- यह छत्तीसगढ़ की महिला पत्रकारों के लिए सुखद संकेत है 


डॉ रमन सिंह --चांउर वाले बाबाजी ला मोर डाहर ले जय जोहार ----डॉ साहाब आपोमन ला चाउंर लेये बर परथे कि नहीं--- एला तो मंय आज तक ले गम नी पाय हववं --फेर बबा गा ए दरी दू रूपया ले ऊपर उठके अपन मध्यमवर्ग के बहिनी मन के घलो चिंता कर डारहु काबर की हमन चालीस ले ब्यालीस रूपया मा चांउर लेथन अउ चिंता के मारे मोटाय मरत हन। ....... शकुंतला तरार

Monday, December 2, 2013

अंतर्राष्ट्रीय महिला हिंसा विरोधी दिवस पर एक दिवसीय सम्मलेन के कार्यक्रम में मंचस्थ अतिथियों ने महिलाओं पर किये जाने वाले  घरेलु हिंसा पर अपने विचार रखे उक्त अवसर  का चित्र