Wednesday, February 25, 2015

अब के फागुन

अब के फागुन ----
भंवरा के भुन भुन मा बन कुलकाए 
एती ओती नरवा नदिया निरझर बोहाए 
त खांधा मा बईठ के कुहकत हे कोइली 
जेन देखे माता जाए सुध बिसराए ||

Sunday, February 22, 2015

छत्तीसगढ़ी गीत -आमा मऊरागे -

''आमा मऊरागे''
आमा मऊरागे ना 
कोयली आज कुहके आमा डारी मा 

 पींयर सरसों हरियर पाना 
सरसों के फूल ह लिखत हे बाना 
नदिया नरवा मा ना 
मातगे  हे चिखला आमा डारी मा  
आमा मऊरागे ना 
कोयली आज कुहके आमा डारी मा 

मया जोरे के दिन ये आये  
नाता मितानी के दिन ये आये 
मया पीरित ह ना  
जीव लेवा होगे आमा डारी मा 
 आमा मऊरागे ना 
कोयली आज कुहके आमा डारी मा 

Wednesday, February 11, 2015

गीत - जवान

" जवान"
इस देश की आन-बान-शान हैं जवान,
सिख-ईसाई-हिन्दू-मुसलमान हैं जवान ||
लहराता है परचम दुनिया और देश में,
ये नींव हैं इस देश का अभिमान हैं जवान ||
देश की आन को सीमा पर डटे हुये,
राष्ट्र की उन्नति का वरदान हैं जवान ||
स्वर्णाक्षरों में नाम है देश के इतिहास में,
सरहद के ये प्रहरी हैं निगहबान हैं जवान ||शकुंतला तरार  ||

Wednesday, February 4, 2015

छत्तीसगढ़ी कविता --बिखहर

''बिखहर'' 
बिरबिट  करिया बिखहर
एक दिन धोखा ले
बस्ती माँ खुसरगे
वहू मेचका के पाछू -पाछू
ओला लिलेबर
 कब बस्ती माँ हबरगे
वो हा गम नई पाईस
फेर मनखे ओला देख डारिस
अउ छिन भर मा जुटगे भीड़
देख के डर्रागे बिखहर
खुसरगे पथरा के तीर
थोकन जघा  पाके
हेरो-हेरो ,
मारो-मारो के अवाज
मनखे तो मनखेच्च आय
हेर के ददे  दनादन ---
मरत बिखहर सोंचत हे
मयं तो एक ठी बिखहर
इहाँ तो कतको बिखहर
इंखर बर कोन ?

Monday, February 2, 2015

बस्तर पर कविता --''थानागुड़ी में ''

बस्तर पर कविता
''थानागुड़ी में'' 
चहल-पहल है 
आज  
थानागुड़ी में   
साहब जी आ रहे हैं  
रात  यहीं विश्राम करेंगे 
नए -नए हैं 
बादले पर आये हैं 
वे !
सुनते थे 
यहाँ आने से पहले 
कि बस्तर के लोग ,
गाँव, 
जंगल, 
आदिवासी, 
ऐसे? 
वैसे? 
और अब आना हुआ है 
तो ऐसा सुनहरा मौका 
क्यों चूका जाय 
साहब 
भीतर ही भीतर बहुत खुश हैं  
मातहतों के चेहरे 
घबराहट में  
आखिर साहब तो साहब हैं 
जल्दी से पीने का 
और 
साथ में मुर्गे का भी करना है 
इंतजाम 
क्या करें 
अचानक साहब का दौरा जो तय हो गया 
अब तो रात में घोटुल से 
चेलिक-मोटियारिन आयेंगे 
रीलो गाकर 
नाचकर 
साहब को प्रसन्न करेंगे  
और साहब 
अपने ग्रामीण क्षेत्रों के दौरे का समय 
सानंद बिताकर 
वापस लौट जायेंगे  
शहर मुख्यालय की ओर  
आने के लिए 
पुनः पुनः |( ''मेरा अपना बस्तर '' काव्य संग्रह से )

शकुंतला तरार  

Thursday, January 29, 2015

महात्मा गांधी चो बिचार 30 जनवरी पुण्यतिथि

महात्मा गांधी चो बिचार ( हल्बी बोली में )

महात्मा गांधी चो बिचार  ए कि दूसर चो भीतरे चो गोठ के जानूँन संमझून हुनमान के नंगत बाट दखातो रहे . महात्मा गांधी भागवत गीता के पढुन सोज बाट  ने रेंगला आरू हामके बले हुनी बाट ने रेंगुतो काजे सिक्छा दिला . हुनमन सत आरू  अहिंसा माने काचोय जीव के नी दुखातो बिन लालच ने पडलो काम-बुता के करुक सिखाव्ला आरू महात्मा गांधी चो हुनी  सांगलो बाट ने आज हाम्चो देस आघे बढ़ेसे नंगत बाटने रेंगेसे .
 गांधी जी धरम के मानते रला मान्तर, धरम चो नांव ने पाप करतो के नंगत नी मानते रला हुन पाप के घुचाऊन, फिंगुन नंगत धरम के चलावतो बिचार करते रला कसन कि जमाय  धरम चो जड़ सत , मया, आरू काचोय मनुख  चो जीव  के नी दुखावतो के मानत.
हुनमन दूय ठान बिचार के  नी धरते रला , काय कि गागतो आरू हांसतो एके संगे नी होउक सके  हुसने मया आरू कोनी जीव के मारतो संगे नी होउक सके . गांधीजी आपलो देस ने  आन्दोलन के चलावला अंग्रेज मन संगे लडला आरू देस के आजाद कराउक कितरोय  हार जेल बले गेला . आपलो देस चो जिनिस के बावरा आरू  दुसर देस चो जिनिस के फिंगुन पकावा बलून सांगला .
महात्मा गांधी पूरे एउन  ''अंग्रेजों  भारत छोड़ो'' आन्दोलन के चलाऊन संघर्स करला आपलो संगवारी मन संगे गुने 15 अगस्त सन 1947 ( पन्दरा अगस्त सन ओनईस सव संयतालीस ) ने देस आजाद होली. हामी सुख चाहुंसे जाले हामके नंगत मनुख बनून रतोर आय. नंगत लुगा-कपड़ा  पींधतोर  आय, नंगत जिनिस खातोर आय, काचोय जीव के नी दुखातोर आय , गांधीजी चो बललो आरू सांगलो बाट के रेंगुन देस के हरीक उदीम बनावतोर  आय.
आजादी काय आय हामी नंगत ले जानलूं , हुनी काजे  जमाय  देसवासी परन  करूँ कि  गांधीजी चो बललो गोठ के फकत कागत आरू टोंड ने   नी धरुन  आपलो जीवना ने उतराऊं . जय हिन्द . महात्मा गांधी चो जय ---

Sunday, January 25, 2015

'' बस्तर की बोलियाँ और साहित्य


रायपुर साहित्य महोत्सव में '' बस्तर की बोलियाँ और साहित्य'' विषय पर बोलते हुए