Thursday, April 11, 2013

आज 1 1  अप्रैल ..चैती चाँद ,,यानि चेट्री चंड्र ..गुडी पडवा  और हिन्दू नव वर्ष की सभी भारतवासियों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनायें ,,,,,

Tuesday, April 9, 2013

मित्रो आप सभी को यह रचना कैसी लगी बेसब्री से मुझे प्रतिक्रिया का इंतजार रहेगा .....
''थानागुड़ी में ''
चहल- पहल है 
आज 
थानागुड़ी में 
साहेब जी आ रहे हैं 
रात यहीं विश्राम करेंगे 
नये- नये हैं 
तबादले पर आये हैं
'' वे ''
सुनते थे 
यहाँ आने से पहले 
कि 
बस्तर के लोग, 
गाँव, 
जंगल, 
आदिवासी
ऐसे? 
वैसे?
और अब आना हुआ है
तो ऐसा सुनहरा मौका
क्यों चूका जाय 
साहब भीतर ही भीतर
बहुत खुश हैं 
मातहतों के चहरे 
घबराहट में 
आखिर साहब तो साहब हैं 
जल्दी से पीने का 
और साथ में
मुर्गे का भी 
करना है इंतजाम 
क्या करें 
अचानक साहब का दौरा जो तय हो गया 
अब तो रात में घोटुल से
चेलिक -मोटियारिन आयेंगे
रीलो गाकर , नाचकर 
साहब को 
प्रसन्न करेंगे 
और साहब
अपने ग्रामीण क्षेत्रों का समय 
सानंद बिताकर 
वापस लौट जायेंगे
शहर मुख्यालय की ओर 
आने के लिए
पुनः पुनः ....
.''मेरा अपना बस्तर'' काव्य संग्रह से 
शकुंतला तरार 0 9 -0 4 -2 0 1 3