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सावन के छै दोहे------------
1 - सावन की लगे झरी, बरसे नेह फुहार
रूठ गए मोसे पिया ,फीकी लगे फुहार
2 - युग युग से बरस रहे, ले बूंदन के हार
पिया बसे परदेस में, फीकी लगे फुहार
3 - झूले बंध गए अमुवा, रिमझिम रस के हार
नेह झरे जियरा जरे. फीकी लगे फुहार
4 -नेह भरा अनुबंध है, अनुबंधी सिंगार
आँख मिचौली सावनी, फीकी लगे फुहार
5 - टूटा छप्पर भीगा मन, आफत बरसे द्वार
धुंधलाई आँखों से, फीकी लगे फुहार
6 - सखियाँ मिल किलोल करें, मन के खुले किवार
आवारा सावन हुआ] फीकी लगे फुहार शकुंतला तरार