Wednesday, July 19, 2017

गीत- सावन ने ली है अंगड़ाई -शकुंतला तरार

गीत- सावन ने ली है अंगड़ाई -शकुंतला तरार

 गीत
“सावन ने ली है अंगड़ाई”
छम-छम-छम-छम स्नेह झर रहे
सावन ने ली है अंगडाई,
बादल के गजरे गुंथवाकर
प्यासी धरती हरषाई ||
1-अलकों में पलकों की छाया
सांझ सवेरा ज्यूँ मिलते
अपने ही सपनों के उपवन
गीले छप्पर में खिलते
टहनी-टहनी डाली-डाली
नव पल्लव भी इठलाई ||
2-चिड़ियों के पर गीले-गीले
अखबारों सा भीगा मन
एहसासों की झड़ी सुहानी
पल-छिन ,पल-छिन सीला तन
बिम्ब कल्पनाओं के भीगे
धूप की बगिया खिल आई ||
3-जीवन क्या है अर्थ भेद क्या
इस मौसम ने समझाया
श्यामल मृदुल कालिंदी है
चाँद उतर नभ से आया
निंदियारी पलकों से छनकर
पर्णकुटी भी मुस्काई ||
शकुंतला तरार रायपुर छत्तीसगढ़