Friday, May 9, 2014

लेख--नारी निर्जीव वस्तु नहीं --नारी विमर्श

22 अप्रैल 2014 को रायपुर के दैनिक अखबार चैनल इंडिया के सम्पादकीय पेज  में नारी विमर्श पर मेरा एक लेख छपा है

काव्य संध्या 4-05-2014


''तू जो कहे मैं बनके चांदनी तेरे मुंडेर पे आऊँगी''

4-मई 2014 /छत्तीसगढ़ सिन्धी साहित्य संस्था और छत्तीसगढ़ सिन्धी नाटय  मंच के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित काव्य संध्या में  काव्यपाठ करती हुई मैं शकुंतला तरार --- इस काव्य संध्या की खासियत यह थी की मंच पर केवल महिलाओं को ही स्थान दिया गया था --सर्वप्रथम काव्य संध्या की  शुरुआत का  सञ्चालन किया शकुंतला तरार ने तत्पश्चात  शशि दुबे ने सञ्चालन किया --इस काव्य संध्या के संयोजक थे कवि राजकुमार मसंद जी और भाग लेने वाले  कवि कवयित्रियों में  लतिका भावे , डॉ.संध्या रानी शुक्ला , उर्मिला उर्मी , अमरनाथ त्यागी, गौहर जमाली, सुखनवर , राममूरत शुक्ल,राजेश  जैन राही, सुशिल भोले,तेजपाल सोनी, गोपाल सोलंकी ,गोविन्द देव अग्रवाल ,नदीम नूर के आलावा शहर के बहुत सारे कवि-कवयित्रियाँ , श्रोतागण ,सिन्धी समाज के प्रबुद्ध और गणमान्य नागरिक उपस्थित थे .......