Thursday, February 28, 2013


  

आज आप पाठकों  के लिए कुछ दोहे छत्तीसगढ़ी में ........

                          होटल में मस्कत  हवे , आलूगुन्डा चाय 
                          दाँत निपोरे देख के , जेब कटागे हाय ॥ 

 छल- कपट भारी होगे, भारी होगे रार
 चंगु मंगु के दिन बहुरगे, ऊंखर नईया पार ॥ 

बानी गुर मा पागे हे , मन मा कपट अमाय 
लडवावय एला ओला , बइठे बंसी बजाय ॥ 
भौजी घर के सोभा ए ,मान बड़ाई पाय 
आँखी मा अइसे बसे , जेंव सपना अमाय ॥