एक ग़ज़ल आप सबके लिए .......20/12/2012 शकुंतला तरार
ग़ज़ल
घर के चमन को खूब सजाती हैं बेटियां
दिल मे ख़ुशी के दीप जलाती हैं बेटियां
..
बेटी का जन्म होता है माँ बाप के लिए
खुद अपनी अस्मिता क्यूँ मिटाती हैं बेटियां
...
शोभायमान उनसे हैं दायित्व के दीये
कुल की परम्परा को निभाती हैं बेटियां
..
है उनकी मेहनतों का कोई मोल ही नहीं
दिन रात फिर
तो पिटती ही जाती हैं बेटियां
...
कर्मों के आइनों में वो आदर्शवान हैं
क्यूँ अपनी ये पहचान गंवाती हैं बेटियां