Wednesday, August 12, 2015

मुक्तक - यादें


एक रचना आज की --




मैं मधु हो जाता हूँ-मुक्तक


अभी ताजी रचना आप सब के लिए ----------- 11-08-2015 
फूल- फूल से रस ले लेकर मैं मधु हो जाता हूँ
हर पराग से पूछो कितना दर्द उन्हें दे जाता हूँ 
किन्तु मानव लेता मुझसे मेरे परिश्रम का सब कुछ 
करता वही वार जब मुझपर क्रोधित मैं हो जाता हूँ 
शकुंतला तरार ---फोटो (मनेन्द्रगढ़ जिला कोरिया)
shakuntalatarar7@gmail.com



एक मुक्तक ख़ास अंदाज़ में

एक मुक्तक ख़ास अंदाज़ में