Tuesday, April 26, 2016

गज़ल -श्वेता तरार


सुनहरी यादें ----
जगार 2015 में बिटिया द्वारा सुगम गायन कार्यक्रम के तहत एक ग़ज़ल की प्रस्तुति ----- प्रख्यात तबला वादक सत्यम भारती और केसिओ पर शांतनु भट्टाचार्य



Monday, April 25, 2016

ग़ज़ल-जान पाएगा तो कह देगा कहानी की वजह

ग़ज़ल----
 
जान पाएगा तो कह देगा कहानी की वजह

“खुद से पूछेगा कभी इस बदगुमानी की वजह” ||
मिलते हैं छुप-छुप के आशिक प्यार की आगोश में
सुरमई सँझा की ढलती दरमियानी  की वजह ||
छल कपट का दंश जग की रीत बनकर रह गई
तुम चलो जैसे हो नदिया की रवानी की वजह ||
क्यूँ भटकता फिर रहा वह व्योम में पंछी बना
ज़िंदगी  सा धन मिला है तत्वज्ञानी की वजह ||
देश सेवा से बड़ी सेवा नहीं ऐ ज़िंदगी
वो हिमालय बन गया है निगहबानी की वजह ||
चैन से हम सो रहे सरहद पे मुस्तैदी बढ़ी
है नमन ऐ वीरों तुम हो जिंदगानी की वजह ||
शकुंतला तरार