Wednesday, April 24, 2013


एक छत्तीसगढ़ी गीत आप सबके लिए  बहुत प्यार से
 मन मोर गावे दीदी तपत कुरु तपत कुरु  

जब मयं अमरेवं गाँव के मुहाटी
लईका खेलत रिहिन भँवरा बांटी
पीपर खांदा मा कूदत रिहिन बेंदरा
सईंतत गोबर मोल दिखिस मंटोरा
जान गयेंव इहीच मोर गाँव ए
मन मोर गावे दीदी तपत कुरु तपत कुरु
मन मोर गावे दीदी तपत कुरु तपत कुरु ||

गाड़ी बईला कुदावत भईया घर आवे
लोटा पानी धरे भौजी मुसकावे
बईहाँ लमाये दाई-ददा  आँसू ढारें
आँसू खुसी के मोर आँखी ले बरसे
पाँव परेंव इहीच मोर धाम ए
 मन मोर गावे दीदी तपत कुरु तपत कुरु
मन मोर गावे दीदी तपत कुरु तपत कुरु ||

पंड़रू बछरू गईया रम्भावे
चौंरा के तुलसी माथ नवावे
गोंदा चंदैनी घप-घप घमके
फूफू दीदी फूफू दीदी नन्हे कुलकावे
कोरा धरेंव इहीच मोर मान ए
मन मोर गावे दीदी तपत कुरु तपत कुरु
 मन मोर गावे दीदी तपत कुरु तपत कुरु||
 
सुन्ना परे हे नरवा -नदिया
सुन्ना परे बूढ़ी दाई के कुरिया
मन के पीरा मयं काला सुनावँव
कईसे भुलावँव संगी जहुँरिया
भेंट करेंव इहीच सन्मान ए
मन मोर गावे दीदी तपत कुरु तपत कुरु
 मन मोर गावे दीदी तपत कुरु तपत कुरु||