Tuesday, October 1, 2013

  जन्म -2  अक्तूबर
            हाजी हसन अली  हसन      
धानी धरती छत्तीसगढ़  जिस तरह  अपनी हरियाली, अपनी   खेती  के लिए मशहूर है, वन, खनिज, प्राकृतिक संपदाओं से भरपूर है यहाँ का रहन-सहन,खान-पान, भाषा -बोली, हंसी-ठिठोली,लोक गीत, साहित्य संस्कृति पूरी दुनिया में प्रसिद्द है , ठीक उसी तरह हमारे यहाँ बहुत सारी  महान विभूतियाँ हुईं जिनका मूल्याङ्कन छत्तीसगढ़ बनने के बाद से किया जा रहा है । ऐसे ही एक विभूति थे मुस्लिम संप्रदाय के रहनुमा हाजी हसन अली ।
            हाजी हसन अली हसन का जन्म आज ही के दिन यानि 2  अक्तूबर सन 1913 को रायपुर में हुआ था। आपके पिता डी बी खमिसा एक अच्छे शायर रहे और आपकी माताजी सक़ीना  बानो को समाज सेवा करने में ख़ुशी होती थी अतः शायरी और समाज सेवा यह दोनों आपको विरासत में मिली। आपकी शिक्षा दीक्षा उर्दू माध्यम से हुई और आपने बी ए तक  की डिग्री हासिल की । उर्दू की सेवा करते हुए आपने उर्दू जैसे कठिन लिपि और ज़बान को लोगों तक पहुंचाने के लिए सरल  और सुगम तरीक़ा  अपनाकर --उर्दू कैसे सीखें, हिंदी से उर्दू सीखें, और लिखना -पढ़ना उर्दू कैसे सीखें जैसी क्किताबें लिखीं जो की हिंदी और उर्दू दोनों के लिए रह आसन हो सके 
             आप समाज सेवा के क्षेत्र में भी सक्रिय रहे । अंजुमने पंजतनी के आप अध्यक्ष रहे और सद्र की हैसियत से आपने आल इंडिया उर्दू कांफ्रेंस कार्यान्वित किया । उर्दू की खिदमत करने उसे बढ़ावा देने -प्रसार करने के लिये  आपने 1972 में मदरसा स्कूल की बुनियाद रखने के साथ ही ग़रीबों और पिछड़े वर्गों की हौसला अफजाई के लिए ईनाम देने की भी शुरुआत की । समाज सेवा और उर्दू की सेवा करने के लिए आपको कई सम्मान मिले जिनमे--महाफ़िज़े उर्दू, अदबे उर्दू, उर्दू रत्न, रहे उर्दू, उर्दू की जान और शान आदि थे।
आपने हमेशा कवियों एवं शायरों की हौसला अफजाई करते रहे । आप समझते थे की उर्दू केवल मुसलमानों की ज़बान नहीं बल्कि हिंदुस्तान की भी ज़बान है . आप वतन परस्ती और  क़ौम की ख़िदमत में  रहे  उर्दू  के लिए आजीवन  फ़िक्रमंद रहे । आपके चार पुत्र और तीन पुत्रियाँ थीं ।
                 पुत्र  इनायत अली छत्तीसगढ़ राज्य अल्प संख्यक आयोग के अध्यक्ष रहे ..और हाजी मोहसिन अली सुहैल अंतर्राष्ट्रीय शायर वरिष्ठ पत्रकार हैं और आपकी रचनाओं को समाज के आगे लेन का अभिनव कार्य कर रहे हैं । कहीं  धूप कहीं छाँवऔर मिरास -ए -हसन आपकी ग़ज़लों,नज़्म,क़तआत,अशआर  की दो किताबें उन्होंने प्रकाशित की है ।
                   छत्तीसगढ़ सरकार ने उर्दू अदब के प्रचार-प्रसार के लिए छत्तीसगढ़ के शायरों और अदीबों को हाजी हसन अली सम्मान से प्रतिवर्ष राज्य स्थापना दिवस पर दो लाख के सम्मान से सम्मानित करती है ।
आपके चंद अशआर, नज़्म ----
 पैदा हुए हैं हम तो मोहब्बत के वास्ते
हम ज़िन्दगी लुटाएंगे भारत के वास्ते ।\

कौन जलवानुमा है तुम्हारी तरह
तुम हो या आइना है तुम्हारी तरह ,
ज़ेरेलब गुनगुनाती हुई हर कली
आज नगमा सारा है तुम्हारी तरह । ।

आग ख्वाबों में लगी है इन दिनों
रौशनी ही रौशनी है इन दिनों
दर्द का सूरज चमकता ही नहीं
बर्फ आँखों में जमी है इन दिनों । ।