Wednesday, March 12, 2014

''बस्तर'' फिर से रक्त रंजित हुई बस्तर

फिर से रक्त रंजित हुई बस्तर 

 एक बार फिर से नक्सलियों ने कायराना हरकत की है -- फ़ोर्स की दक्षता पर हम सवाल नहीं उठा सकते। दरअसल केंद्र और राज्य सरकार में अब तक सामंजस्य का न हो पाना ही छत्तीसगढ़ का दुर्भाग्य है । … पुलिस के आला अफसरों में आपसी खींचतान----वर्चस्व की लड़ाई-- उन्हें समाज हित से ज़यादा स्व हित की चिंता है -- कौन सा आईपीएस किस गुट में है यह लड़ाई छत्तीसगढ़ के phq पुलिस हेडक्वारटर में वर्षों से चल रहा है ---इनका अपना तो कोई बेटा या नाते रिश्तेदार होता नहीं न ही नेताओं के --फिर किसी नेता या पुलिस के अधिकारीयों को इनके मारे जाने से क्या फर्क पड़ता है शासन है न पैसा देने के लिए-- अरे भाई अनुकम्पा नियुक्ति भी दे देंगे ---हम छोटे दिल वाले नहीं हैं आपकी पूरी पूरी मदद करेंगे -- पर क्या उस बूढ़े पिता के बुढ़ापे की लाठी बनेंगे आप ? क्या उस दुखियारी माँ की पथराई आँखों की जाती हुई रौशनी लौटा पाएंगे ? क्या उस जवान विधवा की ज़िंदगी संवारेंगे --बहन की राखी बनेंगे --कहिये क्या बनना चाहेंगे आप ? कुछ भी नहीं -- मारे गए जवानों में अधिकतर 25 से 30 के बीच के ही होते हैं ऐसे में कुछ शादीशुदा हुए तो कम उम्र की पत्नी या साथ में दुधमुहाँ बच्चा भी होता है --उनके आगे पूरी ज़िन्दगी पड़ी होती है जो अचानक अंधकार के गर्त में --------? वीर शहीदों की शहादत को कोटि कोटि नमन --माँ भारती के तुम्ही तो सच्चे सपूत हो ।