Thursday, April 10, 2014

वृक्ष लताओं के भी हैं सजल नयन

नक्सल हिंसा से त्रस्त और पस्त बस्तर और बस्तर के निरीह आदिवासियों पर एक गीत शब्द यदि आपके दिलों को छू न सके तो गीत लिखना छोड़ दूंगी --- वृक्ष लताओं के भी हैं सजल नयन सहमा-सहमा सा यहाँ चंचल पवन 1-पंछी की चहक है ना कोयल की कुहक है मधुबन में फूल है ना फूलों में महक है बारूदी गंधों में घायल स्वपन सहमा-सहमा सा यहाँ चंचल पवन 2-सूनी -सूनी आँखों में कौन सा ये भय समाया हर पल ये उलझन है किस रूपी मौत आया खंड-खंड जीवन का उत्फुल्ल यौवन