Thursday, December 20, 2012

बेटियां


    एक ग़ज़ल आप सबके लिए .......20/12/2012  शकुंतला तरार 
                    ग़ज़ल  
घर के चमन को खूब सजाती हैं बेटियां 
दिल मे ख़ुशी के दीप जलाती  हैं बेटियां 
..
बेटी का जन्म होता है माँ  बाप के लिए 
खुद अपनी अस्मिता क्यूँ मिटाती  हैं बेटियां 
...
शोभायमान उनसे हैं दायित्व के दीये 
 कुल की परम्परा को निभाती हैं बेटियां 
..
है उनकी मेहनतों का कोई मोल ही नहीं 
दिन रात  फिर तो पिटती ही जाती हैं बेटियां 
...
कर्मों के आइनों में वो आदर्शवान हैं 
क्यूँ अपनी ये पहचान गंवाती हैं बेटियां 

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