आज आप पाठकों के लिए कुछ दोहे छत्तीसगढ़ी में ........
होटल में मस्कत हवे , आलूगुन्डा चाय
दाँत निपोरे देख के , जेब कटागे हाय ॥
छल- कपट भारी होगे, भारी होगे रार
चंगु मंगु के दिन बहुरगे, ऊंखर नईया पार ॥
बानी गुर मा पागे हे , मन मा कपट अमाय
लडवावय एला ओला , बइठे बंसी बजाय ॥
भौजी घर के सोभा ए ,मान बड़ाई पाय
आँखी मा अइसे बसे , जेंव सपना अमाय ॥
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