Wednesday, August 7, 2013

 सावन के छै दोहे------------   


1 - सावन की लगे झरी, बरसे नेह फुहार

 रूठ गए मोसे पिया ,फीकी लगे फुहार  


2 - युग युग से बरस रहे,  ले बूंदन के हार
पिया बसे परदेस में, फीकी लगे फुहार 


3 - झूले बंध गए अमुवा, रिमझिम रस के हार
नेह झरे जियरा जरे.  फीकी लगे फुहार 


4 -नेह भरा अनुबंध है, अनुबंधी सिंगार  

आँख मिचौली सावनी,  फीकी लगे फुहार

5 - टूटा छप्पर भीगा मन, आफत बरसे द्वार

 धुंधलाई आँखों से, फीकी लगे फुहार 


6 - सखियाँ मिल किलोल करें, मन के खुले किवार 

आवारा सावन हुआ] फीकी लगे फुहार  शकुंतला तरार 

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