Tuesday, March 3, 2015

बस्तर गीत -5

बस्तर गीत -5 
बेलोसा
 दिन निकलने के साथ ही 
जाती है रयमति के घर 
हाथ में उसके 
एक टुकनी है 
बगल में एक साल डेढ़ साल का बच्चा 
बागा पाई है वो 
रयमति भी वैसी  ही टुकनी लेकर 

 निकलती है अपने घर से
अरे यही तो उनकी पूंजियों में से एक है 
बाड़ी किनारे खड़े होकर 
दोनों में थोड़ी देर कुछ बातचीत होती है 
फिर चल देती है 
वे दोनों  
गाँव से बाहर 
जाते- जाते -जाते चली जाती  हैं  
एक डोबरी के किनारे 
फिर उस डोबरी के दलदल में उतरकर
करती हैं प्रयास 
केसूर कांदा के लिए 
कल 
साप्ताहिक इतवार का  बाजार है 
कोंडागांव का 
कुछ मिलेगा 
 तो नमक और   कुछ जरुरी सामान भी लेना है 
साथ में 
बच्चे के लिए एक कमीज 
ओह 
दिन भर कीचड़ में 
क्या परिश्रम है 
और हम 
उनसे मोल भाव  करते हैं 
चंद रुपयों के लिए ----शकुंतला तरार 

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