Monday, April 25, 2016

ग़ज़ल-जान पाएगा तो कह देगा कहानी की वजह

ग़ज़ल----
 
जान पाएगा तो कह देगा कहानी की वजह

“खुद से पूछेगा कभी इस बदगुमानी की वजह” ||
मिलते हैं छुप-छुप के आशिक प्यार की आगोश में
सुरमई सँझा की ढलती दरमियानी  की वजह ||
छल कपट का दंश जग की रीत बनकर रह गई
तुम चलो जैसे हो नदिया की रवानी की वजह ||
क्यूँ भटकता फिर रहा वह व्योम में पंछी बना
ज़िंदगी  सा धन मिला है तत्वज्ञानी की वजह ||
देश सेवा से बड़ी सेवा नहीं ऐ ज़िंदगी
वो हिमालय बन गया है निगहबानी की वजह ||
चैन से हम सो रहे सरहद पे मुस्तैदी बढ़ी
है नमन ऐ वीरों तुम हो जिंदगानी की वजह ||
शकुंतला तरार 

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