ग़ज़ल----
जान पाएगा तो कह देगा कहानी
की वजह
“खुद से पूछेगा कभी इस
बदगुमानी की वजह” ||
मिलते हैं छुप-छुप के आशिक
प्यार की आगोश में
सुरमई सँझा की ढलती
दरमियानी की वजह ||
छल कपट का दंश जग की रीत बनकर
रह गई
तुम चलो जैसे हो नदिया की
रवानी की वजह ||
क्यूँ भटकता फिर रहा वह व्योम
में पंछी बना
ज़िंदगी सा धन मिला है तत्वज्ञानी की वजह ||
देश सेवा से बड़ी सेवा नहीं ऐ
ज़िंदगी
वो हिमालय बन गया है निगहबानी
की वजह ||
चैन से हम सो रहे सरहद पे
मुस्तैदी बढ़ी
है नमन ऐ वीरों तुम हो
जिंदगानी की वजह ||
शकुंतला तरार
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