मुझे खुद पर गर्व हो रहा है कि मैंने अपना अक्टूबर से दिसंबर 2017 का अंक आदरणीय सुरुज बाई खांडे जी, लोकप्रिय भरथरी गायिका को समर्पित किया था , वे पद्मश्री की सच्ची हकदार थीं जिस महिला ने 50 वर्षों से भी ज्यादा समय उनके ही अनुसार 5 वर्ष की उम्र से ही उन्होंने लोक गाथा भरथरी,, जो उज्जैन के राजा भर्तिहरि के जीवन की गाथा है | जिसमें उनके राजा रहने और उसके बाद तपस्वी रूप तक का विषद वर्णन है ना ही सीखा अपितु मंचों पर हजारों प्रस्तुतियां दी | अनेकों शिष्य हैं उनके जो आज उनकी इस कला को मंचीय स्वरूप देकर जीवंत बनाए हुए हैं -----वे अब हमारे बीच नहीं रहीं --- सचमुच अब तो सेटिंग का ज़माना है सही पात्र अभाव और उचित सम्मान के बिना ही इस दुनिया से चले जाते हैं और अपात्र कभी कभी बाज़ी मार ले जाते हैं |
Monday, March 12, 2018
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