छत्तीसगढ़ी गीत

मया के सपना
मया के अंगना मा आँखी मा सपना हे
चार दिन के जिनगी असीस के झुलना हे
1---- धीरज के चंदा हर जीव ला जुडावत हे
अमावस के अंधियारी मा नवा बिहनिया हे
सुरुज के भरम मा जिनगी के गीत हे
चार दिन के जिनगी असीस के झुलना हे
2---झिन तयं पोटा रबे चिंता के गठरी
रद्दा भुलाए सुख कभू तो लहूँटही
मन तोर डोलय जईसे पीपरा के पान हे
चार दिन के जिनगी असीस के झुलना हे
3---आसा के डोर ला झिन तयं बुचकाबे
मया के फुंदराला कस के गठियाबे
दुनिया हे सतरंगी बादर हे घाम हे
चार दिन के जिनगी असीस के झुलना हे
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