Thursday, October 6, 2016

-सर्जिकल स्ट्राइक पर राजनीति दुर्भाग्यपूर्ण

सर्जिकल स्ट्राइक पर राजनीति दुर्भाग्यपूर्ण 
      उरी में हुए आतंकवादी हमले में भारत के 18 जवानों की शहादत के खिलाफ भारत का सर्जिकल स्ट्राइक को अंजाम देना देश के लिए गौरव की बात है किन्तु, कुछ सिरफिरे  लोगों द्वारा यह नागवार गुजरा कि इतने कम समय में हमारे प्रधान मंत्री ने यह सब कैसे कर दिखाया है और वे लगे इसकी विश्वसनीयता पर सवाल उठाने | उनकी इस घिनौनी हरकत से देश लज्जित ही नहीं हो रहा है बल्कि बाहरी दुनिया में भीतर की  लड़ाई से शर्मिंदा भी हो रहा है | आज देश के  समर्थन में जहां विश्व के लगभग सभी बड़े देश आगे आ रहे हैं और इस सर्जिकल स्ट्राइक को सही ठहरा रहे हैं, ऐसे समय जब भारत आतंकवाद के खिलाफ एकजुटता की अपेक्षा करता है अपने ही घर के भेदी ओछी राजनीति पर उतर आए हैं | वे कम से कम देश  की अस्मिता  और देश के तीनों सेनाओं  के जवानों के देश के प्रति समर्पण की भावना को तो बख्श देते |
एक तरफ कांग्रेस के लाडले पप्पू प्रधान मंत्री की तारीफ  करते हैं वहीं दूसरी ओर कांग्रेस के ही अन्य पदाधिकारी उनकी विश्वसनीयता को  संदेह की नज़रों से देखते हैं | राष्ट्रीय हित के मुद्दों पर  विपक्ष राजनीति करना चाह रही है| राजनीति कभी भी देश से सर्वोपरि नहीं हो सकता |
सेना के डी जी एम ओ लेफ्टिनेंट जनरल रणवीर सिंह ने स्वयं मीडिया को सर्जिकल स्ट्राइक की  जानकारी दी उसके बाद भी नेता हमारे सबूत मांग रहे हैं| पूरी दुनिया के सामने आज पाकिस्तान अलग-थलग पड़ गया है ऐसे समय में इन नेताओं की गलत बयानबाजी जवानों के मनोबल को कम कर सकता है | दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल तो पाकिस्तान में हीरो बन गए हैं क्या उन्हें अपने देश की सेना से ज्यादा आतंकवादियों पर भरोसा है | ऐसे  ही लोगों के उटपटांग बयान से  देश की सुरक्षा को खतरा उत्पन्न होता है-
हमें तो अपनों ने लूटा गैरों में कहाँ दम था,
हमारी कश्ती वहाँ  डूबी जहां पानी कम था |
यह वो समय है जब पूरा देश एक ही स्वर में स्वर मिला कर खड़ा हो गया है तब ऐसा अनर्गल प्रलाप केवल कुछ राजनेताओं को ही शोभा देता है| हमें दुश्मनों की क्या आवश्यकता, हमारे ही घर में तो दुश्मनों की लम्बी जमात है | दुनिया भर के देशों की नफ़रत और धिक्कार से आहत और बेहोश हुए पाकिस्तान को हमारे नेता संजीवनी  बूटी सूंघा रहे हैं, अपने शब्दों की चाशनी से  पाकिस्तान पर मरहम लगा रहे हैं | ऐसे लोग  देश हित की नहीं स्व हित की बात सोचते हैं | ऐसे जयचंदों को लोगों ने सर पर बिठाकर रखा है |
दरअसल सेना के सर्जिकल स्ट्राइक को देखने की चाहत ने इन्हें अँधा कर दिया है ये देखना चाहते हैं की किस तरह से यह हमला किया जाता है | उसे देखने की जिज्ञासा उनकी चाहत ने, लोलुपता संवरण न कर सकने की स्थिति में संदेह की दृष्टि से देखने का नाटक कर रहे हैं ताकि उनके कहने पर इसका प्रसारण चैनलों में किया जा सके और ये उस दृश्य को  महसूस कर सकें |
कुछ बातें देश हित में सर्वोपरि होती है,  देश की सुरक्षा से जुड़े मुद्दों को, मिशन को गुप्त ही रखा जाना श्रेयस्कर होता है अन्यथा सेना की निजता को खतरा उत्पन्न हो सकता है, उनका मनोबल कमजोर पड़ सकता है | अतः हमें सावधान रहना पड़ेगा अपने ही भीतरघाती उन जयचंदों से देश को बचाने के लिए | हमारे सैनिकों की शहादत कभी व्यर्थ नहीं जाएगी  पहले देश है फिर विद्वेष --- जय भारत , जय जननी, वन्दे मातरम

शकुंतला तरार 
प्लाट न- 32 , सेक्टर-2, 
एकता नगर, गुढ़ियारी, 
रायपुर (छत्तीसगढ़) मो – 9425525681  

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