Tuesday, October 10, 2017

शकुंतला तरार के दो हल्बी बाल गीत संग्रह का विमोचन

 शकुंतला तरार के दो हल्बी बाल गीत संग्रह का विमोचन
मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह के करकमलों से संपन्न

शकुंतला तरार के दो हल्बी बाल गीत संग्रह का विमोचन
मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह के करकमलों से संपन्न

देश की जानी-मानी पहली महिला हल्बी साहित्यकार शकुंतला तरार द्वारा लिखित दो हल्बी बाल गीत संग्रह 1- बस्तर चो सुंदर माटी, 2- बस्तर चो फुलबाड़ी का विमोचन कार्यक्रम माननीय मुख्यमंत्री डॉ.रमन सिंह के करकमलों से उनके निवास पर संपन्न किया गया | डॉ. सिंह ने इस उपलक्ष्य में लेखिका को बधाई देते हुए कहा कि पहली बार बच्चों के लिए हल्बी में बाल गीत संग्रह आया है अतः यह दोनों बाल गीत संग्रह आँगन बाड़ी के नन्हे बच्चों के लिए उपयोगी साबित होगी| कार्यक्रम में मुख्य रूप से गुरु घासीदास शोधपीठ के अध्यक्ष डॉ. जे आर सोनी, डॉ सुधीर शर्मा, संदीप तरार, सुशील देहारी के साथ अन्य गणमान्य नागरिक उपस्थित थे |

Sunday, July 23, 2017

गीत-फूल नहीं मुरझाते वे जो हरदम मुस्काते रहते

गीत
6-7-2017
फूल नहीं मुरझाते वे जो
हरदम मुस्काते रहते |
चाहे कितनी पीड़ा मन में
किन्तु महक हैं बगराते ||
1-झीनी झीनी रात चदरिया
भीगा-भीगा मन महका
शबनम के रज-कण बनकर
वह प्रातः दूर्वा पर बहका
नेह लुटाती रजनी मधुमय
भोर मुहाने थामे रहते ||
फूल नहीं मुरझाते वे जो
हरदम मुस्काते रहते |
2-भावों के पाखी अम्बर में
चंचु वीणा के मधु स्वर हैं
बेड़ियों से आज़ाद नीलांचल
नाप रहा जो वेणुधर है
आज तुम्हारे नीलकंठ में
अमरबंध भर गाते रहते ||

Wednesday, July 19, 2017

गीत- सावन ने ली है अंगड़ाई -शकुंतला तरार

गीत- सावन ने ली है अंगड़ाई -शकुंतला तरार

 गीत
“सावन ने ली है अंगड़ाई”
छम-छम-छम-छम स्नेह झर रहे
सावन ने ली है अंगडाई,
बादल के गजरे गुंथवाकर
प्यासी धरती हरषाई ||
1-अलकों में पलकों की छाया
सांझ सवेरा ज्यूँ मिलते
अपने ही सपनों के उपवन
गीले छप्पर में खिलते
टहनी-टहनी डाली-डाली
नव पल्लव भी इठलाई ||
बादल के गजरे गुंथवाकर
प्यासी धरती हरषाई ||
2-चिड़ियों के पर गीले-गीले
अखबारों सा भीगा मन
एहसासों की झड़ी सुहानी
पल-छिन ,पल-छिन सीला तन
बिम्ब कल्पनाओं के भीगे
धूप की बगिया खिल आई ||
बादल के गजरे गुंथवाकर
प्यासी धरती हरषाई ||
3-जीवन क्या है अर्थ भेद क्या
इस मौसम ने समझाया
श्यामल मृदुल कालिंदी है
चाँद उतर नभ से आया
निंदियारी पलकों से छनकर
पर्णकुटी भी मुस्काई ||
बादल के गजरे गुंथवाकर
प्यासी धरती हरषाई ||
शकुंतला तरार रायपुर छत्तीसगढ़

Tuesday, February 28, 2017