गीत
6-7-2017
फूल नहीं मुरझाते वे जो
हरदम मुस्काते रहते |
चाहे कितनी पीड़ा मन में
किन्तु महक हैं बगराते ||
1-झीनी झीनी रात चदरिया
भीगा-भीगा मन महका
शबनम के रज-कण बनकर
वह प्रातः दूर्वा पर बहका
नेह लुटाती रजनी मधुमय
भोर मुहाने थामे रहते ||
फूल नहीं मुरझाते वे जो
हरदम मुस्काते रहते |
2-भावों के पाखी अम्बर में
चंचु वीणा के मधु स्वर हैं
बेड़ियों से आज़ाद नीलांचल
नाप रहा जो वेणुधर है
आज तुम्हारे नीलकंठ में
अमरबंध भर गाते रहते ||
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