Monday, August 19, 2019

छत्तीसगढ़ी फिल्म मंदराजी देखा क्या ? मैंने तो देख लिया |

"छत्तीसगढ़ी फिल्म मंदराजी देखा क्या ?मैंने तो देख लिया |"

                        गाँव की माटी की सोंधेपन की महक लिए नाचा के पुरोधा दाऊ दुलार सिंह मंदराजी के जीवनी (बायोपिक )पर बनी फिल्म मंदराजी जून 2019 को रिलीज़ हो चुकी है |इसमें एक ऐसे व्यक्ति के जीवन के विभिन्न पहलुओं को रेखांकित करने का उपक्रम किया गया है जिसने लोक कला, लोक संस्कृति को प्रशय देकर उसके संरक्षण, संवर्धन के लिए अपना खेत घर सब कुछ बेच बेचकर पैसा लगाया और अंत में उपेक्षा, अभाव, गरीबी से जूझता हुआ अपने प्राणों का उत्सर्ग करता है | 

                   निर्देशक विवेक सारवा ने फिल्म के माध्यम से मंदराजी के जीवन के विभिन्न पहलुओं को, उनके मर्म को रेखांकित करने का अपनी तरफ से भरपूर प्रयास किया है | फिल्म शुरू से अंत तक दर्शकों को बांधे रखने में सक्षम है | किस तरह संगीत प्रेमी मंदराजी दाऊ ने एक छोटे से गाँव के छोटे-मोटे कलाकार जो थोड़ा बहुत हास्य प्रहसन कर लोगों का मनोरंजन कर अर्थोपार्जन करते हैं उन कलाकारों को एकत्र करने का काम किया और उन्हें मंच प्रदान किया | नाचा जैसी विधा को परिष्कृत कर रवेली नाचा पार्टी का गठन किया | गाँव-गाँव में नाचा दिखाकर जनजागृति फैलाई तत्पश्चात नाचा के माध्यम से हंसते-हंसाते सामाजिक जागरूकता का सन्देश जैसे छुआछूत की समस्या, ऊँच-नीच, अमीरी- गरीबी, दहेज़ समस्या, स्वास्थ्य आदि कुप्रथाओं के प्रति लोगों को जागरूक करने लगे |गीत संगीत के प्रति उनका यह जूनून उन्हें घर से उलाहना का भी पात्र बनाया किन्तु वे डिगे नहीं अपनी ही धुन के पक्के उसी में रमे रहे | आज़ादी से पहले से शुरू यह दौर आज़ादी के बाद भी अनवरत चलता रहा किन्तु होनी बलवान है | जीवन भर जिनके साथ और जिनके लिए संघर्ष करते रहे कैसे उन्हें उनके साथी कलाकारों ने धोखा दिया कैसे दूसरी संस्था के लोगों ने उनके मंजे हुए परिपक्व कलाकारों को अपने साथ ले लिया और विश्वविख्यात बने | पैसा के ख़तम होते ही साथियों ने मुंह फेर लिया मालगुजार परिवार के होने के बावजूद अंत समय में वे एक-एक पैसे के लिए मोहताज होते रहे उपेक्षा, अभाव, गरीबी में उन्होंने अपने प्राण त्यागे|
              फिल्म में दाऊ दुलार सिंह मंदराजी का जीवंत अभिनय किया है करण खान ने उन्होंने अपने अभिनय के बेजोड़ कला कौशल से दर्शकों के दिलोदिमाग पर अपनी अमिट छाप छोड़ी है उनका अभिनय इतना जीवंत है कि कहीं-कहीं दर्शकों के रोंगटे खड़े हो जाते हैं | उनकी पत्नी रामहीन के रूप में ज्योति पटेल सहित फिल्म के सभी कलाकारों ने उत्कृष्ट अभिनय किया है चाहे वे नाचा के पात्र हों या परिवार के सदस्य | लक्ष्मण मस्तुरिया के गीत और खुमान साव के संगीत ने दर्शकों को भाव विभोर किया है हालाँकि उनके गीतों को पहली बार नहीं सुना गया है किन्तु किस स्थान पर गीतों को रखना यह निर्देशक ने बख़ूबी सूझ-बूझ से प्रयुक्त किया है साथ ही उस समय के ठेठ ग्रामीण परिवेश गाँव घर को प्रदर्शित करने की कोशिश की गई है और इसमें वे सफल भी रहे हैं | 
                सारवा ब्रदर्स फिल्म प्रोडक्शन एवं माँ नर्मदा फिल्म्स द्वारा प्रस्तुत यह फिल्म हर उस छत्तीसगढ़िया को देखना चाहिए जिनकी कला एवं संस्कृति में जरा भी रूचि हो, प्रेम हो | सारवा ब्रदर्स बधाई के पात्र हैं जिन्होंने एक ऐसे व्यक्ति के जीवन चरित्र पर फिल्म बनाई है जिन्हें आज की पीढ़ी ने देखा भी नहीं है | छत्तीसगढ़ शासन द्वारा प्रतिवर्ष लोक कला के क्षेत्र में किसी एक लोक कलाकार को दाऊ मंदराजी सम्मान से सम्मानित भी किया जाता है |
मुझे मंदराजी देखे एक सप्ताह हो गया किन्तु आज भी दिलो दिमाग पर मंदराजी की छवि अंकित है | अभी भी समय है आप इस फिल्म को रायपुर के प्रभात टाकिज में दोपहर 12 से 3 के समय में देख सकते हैं |

1 comment:

  1. मैंने अभी आपका ब्लॉग पढ़ा है, यह बहुत ही शानदार है।
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